‘आईस्टार्ट राजस्थान’
जहॉं ‘एकत्र’ स्टार्टअप महिलाओं के घर तक रोजगार पहुंचा रहा है वहीं ‘योअर जीनी’ जरूरत के मुताबिक हर प्रकार की सेवा आपके द्वार लाने जा रहा है, ‘ईकॉम बुक्स’ ने ऑनलाइन बिजनेस को चुटकियों का खेल बना दिया है। ’नाव वैरिफाई इट’ ने क्यूआर कोड तकनीक से बड़े ब्रांड की पहचान को बेहद आसान बना दिया है। ये सभी नाम उन स्टार्टअप्स के हैं, जो राजस्थान के युवा उद्यमियों के दिमाग की उपज हैं। राजस्थान के ये युवा उद्यमी अपने अनोखे और लीक से हटकर स्टार्टअप्स के जरिए न सिर्फ व्यावसायिक लाभ अर्जित कर रहे हैं, बल्कि आमजन की सहूलियत भी बढ़ा रहे हैं। उनकी इस सफलता की यात्रा में राजस्थान सरकार की आईस्टार्ट योजना ने जरूरी आर्थिक और व्यावसायिक मदद देकर उनकी राह को आसान बनाया है।
राजस्थान स्टार्टअप कार्यक्रम शुरू करने के लिए देश के अग्रणी राज्यों में से एक रहा है। राज्य सरकार ने स्टार्ट-अप से जुडी समस्त सूचनाओं को एक ही स्थान पर प्रदान करने के लिए एक वेब पोर्टल istart.rajasthan.gov.in स्थापित किया है। यह पोर्टल नीति के तहत निर्धारित सभी प्रोत्साहनों का वन स्टॉप गेटवे है। इसी के तहत आई स्टार्ट राजस्थान सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग राजस्थान सरकार की ओर से नवाचार को बढ़ावा देने, रोजगार सृजित करने और राज्य में निवेश की सुविधा के लिए प्रमुख कार्यक्रम है, जिसके साथ 3 हजार 112 रजिस्टर्ड व 2100 से अधिक अप्रूव्ड स्टार्टअप जुड़े हुए हैं। राज्य में स्टार्टअप्स के जरिए अब तक 22 हजार 851 रोजगारों का सृजन हुआ है। वहीं, इनमें राज्य सरकार की ओर से वित्त पोषण को मिलाकर कुल 267 करोड़ रूपए का निवेश हो चुका है।
इस कार्यक्रम के तहत युवा उद्यमियों को कई प्रकार से सहायता दी जा रही है। स्टार्ट अप की प्रकृति को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से निर्वाह भत्ते के रूप में प्रोटोटाइप चरण में एक वर्ष तक 20 हजार रूपए प्रतिमाह और महिला स्टार्टअप्स को 25 हजार रूपए प्रतिमाह दिया जाता है। कोविड राहत सीड अनुदान के रूप में 5 लाख रूपए की सहायता दी गई थी। इस मद में 83 स्टार्टअप्स को 4.15 करोड़ रूपए का अनुदान दिया जा चुका है। स्टार्टअप्स के विकास को बढ़ावा देने के लिए वायबिलिटी सीड फंडिंग के रूप में इस वर्ष 16 चयनित स्टार्टअप्स को 32 लाख रूपए की सीड फंडिंग दी जानी है।
राज्य सरकार की ओर से घोषित स्टार्ट अप नीति 2022 के तहत इनक्यूबेटर, एक्सीलरेटर प्रोग्राम और इन्वेस्टर्स को 35 लाख रूपए तक सहायता दी जाएगी। साथ ही, इस नीति में सरकारी विद्यालय व कॉलेज में ई-सेल खोलने पर 15 लाख रूपए तक का अनुदान दिया जाएगा है।
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